सोमवार, अगस्त 01, 2011

अम्मा की बातें

कल रात को अम्मा की बातें याद आनी जो शुरू हुईं, वह सिलसिला अभी तक भी नहीं थमा। पहाड़ी झरने खुद ही सूखते हैं, उनके प्रवाह को रोका नहीं जा सकता। अम्माओं के व्यक्तित्व भी पहाड़ जैसे ही होते हैं, सुरक्षा का आभास कराते हैं और मन को शीतलता देते हैं। उनकी सिखायी गयीं बातें ज़िन्दगी की अँधेरी राह को उजियाला कर देती हैं। स्कूलों व कॉलेजों में पढ़ी गयी किताबों से उतना ज्ञान नहीं मिलता जो अम्माओं की बातों से मिलता है क्योंकि ज़िन्दगी सिर्फ किताबी ज्ञान से नहीं चलती, उसके लिए व्यावहारिक ज्ञान ज़रूरी होता है। अम्माएं व्यावहारिक ज्ञान की पाठशालाएं होती हैं।

अम्मा की सिखायी गयी कुछ बातें मुझे आज भी याद हैं और हमेशा मेरा पथ प्रदर्शन करती हैं। वे बातें मैंने आज तक किताबों में कहीं नहीं पढ़ीं। अम्मा ने शायद ज़िन्दगी के यज्ञ में तप कर सीखा होगा उन्हें। हो सकता है आपने भी उन बातों को अपने किसी भी कोर्स की किताब में न पढ़ा हो। इसलिए अम्मा की जो बातें फिलहाल दिमाग में आ रही हैं, उन्हें आपके साथ बांट रहा हूँ। हो सकता है कभी आपके काम आयें क्योंकि अम्माएं तो सभी की एक सी होती हैं। अगर ये बातें कारगर लगें तो मेरी अम्मा की स्मृति को प्रणाम कर लेना और मन ही मन उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करना। आपकी प्रार्थना में मैं भी कहीं साझी रहूँगा।
1.“किसी के साथ लड़ते समय भी अभद्र शब्दों के प्रयोग से बचना। अभद्र शब्द दिल में उसी तरह ठुक जाते हैं जैसे लकड़ी में कील। उस व्यक्ति के द्वारा तुम्हें माफ कर दिये जाने यानि कील निकल जाने के बाद भी, छेद बना रहता है”।
2. “हिरन की अगुआई में शेरों की फौज के मुकाबले शेर की अगुआई में हिरनों की फौज से अधिक डरना”।
3. “अपने दुश्मनों को हमेशा माफ कर देना, लेकिन उनके चेहरे और उनके नाम याद रखना”।
4. “आदमी का चरित्र और उसका बगीचा बताते हैं कि बढते समय पर उनकी कितनी कटाई-छंटाई की गयी है”।
5. “जो चीज आपसे अपने आप खो जाती है उसकी कीमत कई गुना हो जाती है”।
6. “कोई भी आदमी बस उतना ही बडा होता है जितनी कि वे चीजें जिन पर उसे गुस्सा आता है”।
7. “नाराज़ कोई भी हो सकता है, आसान है। लेकिन सही व्यक्ति से, सही समय पर, सही मकसद के लिये, सही हद तक, और सही ढंग में नाराज़ होना आसान नहीं होता”।
8. “कोई भी रिश्ता तुम्हारे हाथ में रेत की तरह होता है। ढीली हथेली रखोगे तो बना रहेगा, लेकिन जैसे ही कस कर मुट्ठी बन्द करोगे तो उँगलियों के बीच से निकल जायेगा”।
9. “पैनी ज़ुबान और कम अक्ल एक ही शरीर में पायी जाती हैं”।
10. “बहुत कम लोगों में बुजुर्गों जैसी समझदारी और जवानों जैसा जोश होता है, अधिकतर लोगों में जवानों जैसी समझदारी और बुजुर्गों जैसा जोश पाया जाता है”।
11. “सच्चाई का लिबास पहनो तो ऐहतियात बरतना, यह लिबास फट जाने पर रफू नहीं होता”।
12. “हर एक के पैसे की दावत तो बड़ी चीज है, कभी दवा भी मत खाना”।

अम्मा चली गयीं, लेकिन उनकी ये नगीने जैसी बातें आज भी मेरे साथ हैं और मरते दम तक रहेंगी। जब तक ये बातें मेरे व्यक्तित्व में समाहित रहेंगी मैं, अपनी अम्मा का बेटा बना रहूँगा। मैं अपनी अम्मा का बेटा बना रह सकूँ, बस यही ईश्वर से प्रार्थना है। पौधा चाहे कितना भी बड़ा पेड़ बन जाये लेकिन उस मिट्टी के अहसान को कैसे चुकायेगा जिसने उसे अंकुर से इतना बड़ा पेड़ बना दिया। अम्मा की स्मृति में मेरी जड़ें हैं। मैं, मेरे फल, फूल, पत्ते उन जड़ों के प्रति हमेशा नतमस्तक रहें बस।
- राजेन्द्र चौधरी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें