वैसे तो आज शिक्षक दिवस है, लेकिन मैं अम्मा और पिताजी को ही अपना सबसे बड़ा गुरु मानता आया हूँ। मैं आज जो कुछ भी हूँ, जैसा भी हूँ, अपने स्वर्गीय अम्मा-पिताजी के द्वारा रोपे गये संस्कारों व मूल्यों तथा उनके आशीषों की बदौलत ही हूँ। अच्छा हूँ तो उसका सारा श्रेय उन्हें जाता है, बुरा हूँ तो हो सकता है ठीक से ग्रहण न कर पाया हूँ उनकी शिक्षायें, इसलिए उनके साथ-साथ आपसे भी क्षमा चाहता हूँ। आज अपने अम्मा-पिताजी की स्मृति को प्रणाम करता हुआ अपनी सांसों के यज्ञ के रूप में स्वर्गीय ओम व्यास जी की एक कविता आपके बीच रखता हूँ। अगर आपके माता-पिता जीवित हैं और आपके साथ हैं, तो आप धन्यभागी हैं, अगर वे नहीं हैं तो दिवंगत कवि ओम व्यास को उनकी अत्यंत सरल परंतु प्रभावी अभिव्यक्ति के लिए साधुवाद देते हुए मेरे साथ अपने माता-पिता के इस स्मृति यज्ञ में शामिल हों:
माँ
“माँ संवेदना है, भावना है, अहसास है
माँ जीवन के फूलों में खुश्बू का वास है
माँ रोते हुए बच्चे का खुशनुमा पलना है
माँ मरुथल में नदी या मीठा सा झरना है
माँ लोरी है, गीत है, प्यारी सी थाप है
माँ पूजा की थाली है, मंत्रों का जाप है
माँ आँखों का सिसकता हुआ किनारा है
माँ गालों पर पप्पी है, ममता की धारा है
माँ झुलसते दिनों में कोयल की बोली है
माँ मेंहदी है, कुमकुम है, सिंदूर की रोली है
माँ कलम है, दवात है, स्याही है माँ
माँ परमात्मा की खुद इक गवाही है माँ
माँ त्याग है, तपस्या है, सेवा है माँ
माँ फूँक से ठंडा किया हुआ कलेवा है माँ
माँ अनुष्ठान है, साधना है, जीवन का हवन है
माँ ज़िन्दगी के मुहल्ले में आत्मा का भवन है
माँ चूड़ी वाले हाथों पे मजबूत कंधों का नाम है
माँ काशी है, काबा है, चारों ही धाम है
माँ चिंता है, याद है, हिचकी है
माँ बच्चे की चोट पे सिसकी है
माँ चूल्हा है, धुआँ है, रोटी है, हाथों का छाला है
माँ ज़िन्दगी की कड़वाहट में अमृत का प्याला है
माँ दुनिया है, जगती है, पृथ्वी की धुरी है
माँ बिना इस सृष्टि की कल्पना अधूरी है
माँ की कथा अनादि है, वो अध्याय नहीं है
और माँ का जीवन में कोई भी पर्याय नहीं है
माँ का महत्व दुनिया में कम हो नहीं सकता
और माँ जैसा दुनिया में कोई हो नहीं सकता
मैं अपनी कला की पंक्तियां माँ के नाम करता हूँ
मैं दुनिया की सब माताओं को प्रणाम करता हूँ”।
पिता
“पिता जीवन है, सम्बल है, शक्ति है
पिता सृष्टि के निर्माण की अभिव्यक्ति है
पिता उँगली पकड़े बच्चे का सहारा है
पिता कभी कुछ खट्टा, कभी कुछ खारा है
पिता पालन है, पोषण है, परिवार का अनुशासन है
पिता धौंस से चलने वाला प्रेम का प्रशासन है
पिता रोटी है, कपड़ा है, मकान है
पिता छोटे से परिंदे का बड़ा आसमान है
पिता अप्रदर्शित अनंत प्यार है
पिता है तो बच्चों को इंतजार है
पिता से ही बच्चों के ढ़ेर सारे सपने हैं
पिता है तो बाज़ार के सब खिलौने अपने हैं
पिता से परिवार में प्रतिपल राग है
पिता से ही माँ की बिंदी है, सुहाग है
पिता परमात्मा की जगत के प्रति आसक्ति है
पिता गृहस्थ आश्रम में उच्च स्थिति की भक्ति है
पिता अपनी इच्छाओं का हनन और परिवार की पूर्ति है
पिता रक्त में प्राप्त हुए संस्कारों की मूर्ति है
पिता एक जीवन को जीवन का दान है
पिता दुनिया दिखाने का आजीवन अहसान है
पिता सुरक्षा है, सिर पर हाथ है
पिता नहीं है तो बचपन अनाथ है
तुम पिता से बड़ा अवश्य अपना नाम करो
पर पिता का अपमान नहीं, उन पर अभिमान करो
क्योंकि माँ-बाप की कमी को कोई पाट नहीं सकता
और ईश्वर भी उनके आशीषों को काट नहीं सकता
विश्व में किसी भी देवता का स्थान दूजा है
माँ-बाप की सेवा ही सबसे बड़ी पूजा है
विश्व में किसी भी तीर्थ की यात्राएं व्यर्थ हैं
यदि बेटे के होते हुए माँ-बाप असमर्थ हैं
वो खुशनसीब हैं माँ-बाप जिनके साथ होते हैं
क्योंकि माँ-बाप के आशीषों के हजारों हाथ होते हैं”॥
हम सब को अपने माता-पिता के सदैव अनंत आशीष प्राप्त हों!
- राजेन्द्र चौधरी
गीत और गज़ल के सशक्त हस्ताक्षर कुमार अनिल को उनके द्वारा मेरे ब्लॉग की प्रशंसा किये जाने के लिए साधुवाद और आशीष!
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