शुक्रवार, नवंबर 18, 2011

एक अनूठा चुनाव

बहुत पहले की बात है, एक राजा था। राजा जब बूढ़ा होने लगा तो उसने सोचा कि अब अपना उत्तराधिकारी चुनने का समय आ गया है। लेकिन उसने अपने बच्चों, मंत्रियों या सहायकों में से अपना उत्तराधिकारी चुनने के बजाय कुछ अलग सोचा। उसने एक दिन अपनी राजधानी के सभी युवकों को एक नियत स्थान पर बुलाया। उसने कहा, “अब समय आ गया है कि मैं राजगद्दी छोड़ दूँ और अगला राजा चुनूँ। मैंने आप लोगों में से किसी एक को चुनने का निर्णय लिया है”।

सभी युवक आश्चर्यचकित थे, लेकिन राजा ने बोलना जारी रखा। “मैं आज आप लोगों को एक बीज देने जा रहा हूँ। यह बीज एक विशेष प्रकार का बीज है। मैं चाहता हूँ कि आप इस बीज को बोयें, इसे खाद, पानी दें, इसकी देखभाल करें, और आज से ठीक एक वर्ष बाद, आज ही के समय, इसी जगह पर एकत्रित हों और इस एक बीज से आपने जो उगाया हो उसे अपने साथ लेकर आयें। तब आप जो पौधे लेकर आयेंगे, उन्हें देखकर मैं अगले राजा के बारे में निर्णय करूँगा”।

उस दिन उन युवकों में हेनरी नाम का एक युवक भी था और उसने भी दूसरों की तरह एक बीज प्राप्त किया। जब वह घर वापस आया तो बहुत रोमांचित था और उसने अपनी माँ को पूरी घटना सुनायी। अपनी माँ की सहायता से उसने एक उपयुक्त गमला, मिट्टी और खाद खरीदी, फिर उस गमले में वो बीज बोया और उसके लिये नियमित रूप से पानी व धूप का ध्यान रखा। रोजाना वह जब पानी देता तो गौर से देखता कि पौधा उगा या नहीं। लगभग तीन हफ्ते बाद दूसरे युवकों ने अपने बीजों और उनसे उगना शुरू कर चुके पौधों के बारे में बातें करनी शुरू कर दीं।

हेनरी रोज गौर से देखता लेकिन उसके गमले में अभी तक कुछ नहीं उगा था। 3 हफ्ते, 4 हफ्ते, 5 हफ्ते बीत गये लेकिन कुछ नहीं उगा। अब तक दूसरे युवक अपने पौधों के बारे में बातें भी करने लगे थे, लेकिन हेनरी के पास कोई पौधा नहीं था। वह खुद को असफल महसूस करने लगा था। छह महीने बीत गये, अभी भी हेनरी के गमले में कुछ नहीं उगा था। वह जान चुका था कि उसने अपने बीज को नष्ट कर दिया है।

हर किसी के पास बड़े बड़े पौधे थे, लेकिन हेनरी के पास कुछ नहीं था। उसने अपने दोस्तों से कुछ नहीं कहा। वह बस अपने बीज के उगने का इंतज़ार करता रहा।

अंतत: एक वर्ष बीत गया और राजधानी के सभी युवक राजा के निरीक्षण के लिए अपने पौधे लेकर उपस्थित हुए। हेनरी ने अपनी माँ से कहा कि वह अपना खाली गमला लेकर नहीं जायेगा। माँ ने कहा, “जो हुआ उसके प्रति ईमानदार रहो”। हेनरी बहुत दुखी था, हालाँकि वह जानता था कि उसकी माँ सही कह रही है।

वह अपना खाली गमला लेकर उस स्थान पर पहुँचा और दूसरे युवकों के पौधे देखकर हैरान रह गया। सभी के पौधे रंग-रूप और आकार में बहुत सुन्दर थे। उसने अपना खाली गमला फर्श पर रखा तो युवकों ने उसकी हँसी उडायी। कुछ ने तो व्यंग्य भी कसा कि “वाह! क्या खूब कोशिश है तुम्हारी?”

जब राजा वहाँ पहुँचा तो उसने सभी युवकों का स्वागत किया और कहा, “वाह क्या सुन्दर पौधे और फूल आप लोगों ने उगाये हैं! आज आप लोगों में से किसी एक को अगला राजा नियुक्त किया जायेगा”। अचानक राजा की नज़र खाली गमले के साथ पीछे खड़े हेनरी पर पड़ी। राजा ने अपने अंगरक्षक को उसे आगे लेकर आने का आदेश दिया। हेनरी भयभीत हो उठा। “राजा को मालूम है मैं असफल रहा हूँ, वह मुझे सज़ा भी दे सकता है कि मैंने उसके दिये हुए बीज को नष्ट कर दिया”।

जब हेनरी राजा के सामने पहुँचा तो राजा ने उसका नाम पूछा। “मेरा नाम हेनरी है”, उसने उत्तर दिया। दूसरे युवकों ने उसकी हँसी उड़ायी। उसने सबको शांत रहने का आदेश दिया, फिर हेनरी की तरफ देखा और घोषणा की, “अपने नये राजा को ध्यान से देखिये! उसका नाम हेनरी है!” हेनरी को अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ। बाकी युवक भी हैरान थे, “हेनरी तो अपने बीज को उगा तक नहीं पाया, फिर वह राजा कैसे चुना जा सकता है?”

तब राजा ने कहा, “एक वर्ष पहले मैंने आज ही के दिन आप सब लोगों को एक-एक बीज दिया था और कहा था कि आप इस बीज को बोयें, इसे खाद, पानी दें, इसकी देखभाल करें, और ठीक एक वर्ष बाद जो कुछ उगा हो उसे साथ लेकर एकत्रित हों। लेकिन मैंने आप सब लोगों को उबले हुए बीज दिये थे जो उग नहीं सकते थे। हेनरी के अलावा आप सभी लोग मेरे पास फूलों से लदे हुए बड़े बड़े पौधे लेकर उपस्थित हुए हैं। जब आपने देखा कि जो बीज मैंने दिया था वो नहीं उगा तो आपने बीज बदल दिया। हेनरी अकेला ऐसा युवक है जो ईमानदारी के साथ अपना खाली गमला लेकर आने का साहस दिखा पाया। इसलिए, यही वह उपयुक्त व्यक्ति है जो अगला राजा होगा”।

याद रखें:
अगर आप ईमानदारी रोपेंगे, तो विश्वास पायेंगे। अगर आप भलाई रोपेंगे, तो दोस्त पायेंगे।
अगर आप विनम्रता रोपेंगे, तो महानता पायेंगे।
अगर आप अध्यवसाय (अथक प्रयास करते रहना) रोपेंगे, तो विजय पायेंगे। अगर आप सोच-विचार रोपेंगे, तो तालमेल पायेंगे।
अगर आप परिश्रम रोपेंगे, तो सफलता पायेंगे।
अगर आप क्षमा रोपेंगे, तो मेल-मिलाप पायेंगे।
अगर आप खुलापन रोपेंगे, तो घनिष्ठता पायेंगे।
अगर आप धैर्य रोपेंगे, तो सुधार पायेंगे।
अगर आप आस्था रोपेंगे, तो चमत्कार पायेंगे।
लेकिन...
अगर आप बेईमानी रोपेंगे, तो अविश्वास पायेंगे।
अगर आप स्वार्थपरता रोपेंगे, तो अकेलापन पायेंगे।
अगर आप अभिमान रोपेंगे, तो विनाश पायेंगे।
अगर आप ईर्ष्या रोपेंगे, तो मुसीबत पायेंगे।
अगर आप आलस्य रोपेंगे, तो गतिहीनता पायेंगे।
अगर आप कड़वाहट रोपेंगे, तो अलगाव पायेंगे।
अगर आप असंयम रोपेंगे, तो अस्वस्थता पायेंगे।
अगर आप लालच रोपेंगे, तो नुकसान पायेंगे।
अगर आप चुगली रोपेंगे, तो दुश्मन पायेंगे।
अगर आप चिंतायें रोपेंगे, तो झुर्रियां पायेंगे।
अगर आप पाप रोपेंगे, तो अपराध-भाव पायेंगे।

इसलिए आप जो आज बो या रोप रहे हैं, उसके प्रति सावधानी बरतें क्योंकि वही निर्धारित करेगा कि आपको कल क्या मिलने वाला है। जो बीज आप आज बिखेरेंगे वो ही आपकी या आपके बाद आने वालों की ज़िन्दगी को बेहतर या बदतर बनायेंगे। निश्चित जानिये, किसी दिन आप या तो अपने द्वारा चुने गये विकल्पों का सुफल पायेंगे या उनकी कीमत चुकायेंगे।
- राजेन्द्र चौधरी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें